BA 3rd Year Anxiety Study Material Notes in Hindi

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BA 3rd Year Anxiety Study Material Notes in Hindi

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Anxiety Notes in Hindi 

प्रस्तावना

ए० के रामानुजनः एक कवि के रूप में

ए० के. रामानुजन की काव्यरचनाएँ, मात्र दो काव्य संग्रह- The Striders and Reltaions- अपेक्षा से कम है। सी. डी. गुप्त लिखते हैं- “कवित्व उसमें स्वतः नही आया है, अपित वह धीरे-धीरे खोजा गया है।” वह द्विभाषी कवि है जिसने कन्नड एवं अंग्रेजी भाषा पर समान अधिकार के साथ कविताएँ लिखी है। 17 वर्ष की अवस्था में वह दो वर्ष पूर्व से ही कविताएँ लिख रहा था। इस आधार पर उसे जन्मजात कवि कहा जा सकता हैं। काव्यकला पर उसके विचार

भाषा विज्ञान में रामानुजन की रूचि ने उसके काव्य एवं काव्य-शिल्प को अत्यधिक प्रभावित किया है। वह स्वयं लिखते हैं- “मेरा सब से पुराना सम्बन्ध काव्य की संरचना से है….वह विधि जिससे काव्य प्रारम्भ होता है, उसका अन्त होता है तथा उसमें स्पष्टता आती है

अर्थ संरचना में ही निहित होता है।” काव्य का सजन शब्दों से ही होता है किन्तु शब्द उन वस्तुओं की भाँति है जिनका प्रयोग सृजन के लिए किया जाता है। रामानुजन के काव्य में भारत के प्रति संवेदन शीलता

उसकी कविताएँ कवि के भारतीय अनुभवों से भरी पड़ी हैं। ये अमेरिका के अनुभवों के साथ-साथ भारतीय संवेदनशीलता की अभिव्यक्ति हैं। भारतीयता के कुछ पहलू, जिनका कवि ने चित्रण किया है, सार्वभौमिक महत्व रखते है। उसकी कविता ARiver बाढ़ से उत्पन्न विनाश का वर्णन करती है। वाकाई नामक नदी प्रत्येक ग्रीष्म ऋतु में सूख जाती है, उस सूख जाने वाली नदी का वर्णन नही किया गया है। इसके बजाय कवियों ने केवल बाढ़ो के बारे में लिखा है। उन्होंने मानव के प्रति कोई संवेदना नही दिखाई है। रामानुजन इस पर व्यंग्य करते हैं

जीवन में आन्तरिक संचना, बिम्ब चित्रों और प्रतीको’को उसने बड़ी मात्रा में लोक गाथाओं से लिया है। उसने पौराणिक कथाओं और परम्पराओं को भारत को सामान्य विरासत से लिया है। भारतीय परम्पराओं का अनुसरण

एक कवि के रूप में . के. रामानजन विभिन्न भारतीय मुद्दों को अनेक ढंग से अभिव्यक्त करते हैं जिसका पाठकों के मस्तिष्क पर स्थायी प्रभाव पड़ता है। उसके काव्य का प्राथमिक सार भारतीय संवेदनशीलता की परम्पराओं से गहन रूप में आबद्ध है। उसकी अनेक कृतियाँ जो उसके प्रसिद्ध काव्य संग्रह ‘The striders’ में संकलित हैं, उसकी अनूदित कतिवओं से अलग, भारतीय संवेदनशीता का पट लिये हैं जिन्हें Memoirs भूत कालीन अनुभव यात्रा काव्य, लोक गाथाएँ एवं पौराणिक गाथाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। भारत, संस्कृति और पाचात्य संस्कति के बारे में विश्वकोषीय ज्ञान का उसने अपनी कविताओं। में भरपूर विदोहन किया है ताकि वे भारतीय परिदश्य के सम्बन्ध में असाधारण भावनाओं की अभिव्यक्ति कर सकें, और साथ ही दोनों संस्कतियों के सुन्दर सम्मिश्रण कर ले।” पारिवारिक सम्बन्ध हैं ।

पारिवारिक सम्बन्ध रामानुजन के काव्य का मुख्य विषय है। उसके काव्य में परिवार रूपक के रूप में प्रयुक्त हुआ है परन्तु वह ऐतिहासिक सन्दर्भ में परिवार को लेता है। वह अपने व्यक्तिगत एवं पारिवारिक संघर्षों ओर हताशाओं को भारतीय परम्परागत वातावरण से सम्बद्ध करता है। दूरी उसकी पारिवारिक कविताओं को ऐतिहासिक स्पर्श प्रदान करती है। वह भारतीय पौराणिक कथाओं और परम्पराओं में विदेशी संस्कृति और विस्तृत सागर के पार देखता है। भाषा एवं शैली रामानुजन एक महान एवं अत्यन्त प्रतिभाशाली कलाकार है। उसने परिश्रम के साथ अपनी काव्य शैली को मांजा है। वह सतर्कतापूर्वक शब्दों का चयन करता है। किन्तु शब्द-सरल और दैनिक प्रयोग में आने वाले है। शब्दों के प्रयोग में वह अत्यधिक मितव्ययी है। वह सटीक एवं अर्थ युक्त शब्दों का प्रयोग करता है जो उसके काव्य को संक्षिप्तता प्रदान करते हैं। उसकी शब्द संरचना प्रत्यक्ष रूप से छान्दिक रूखापन, अभिव्यक्ति की उत्कृष्टता, प्रतिष्ठित सरलता एवं आडम्बर ही नही लिए हैं। देखें

वह अधिकांशत: Monosyllabic शब्दों का प्रयोग करता है। इस प्रकार वह स्वर-ध्वनियों के केन्द्रीयकरण में सफलता प्राप्त करता है। यह उसकी शब्द संरचना को संगीतमय बना देता है। वह लयबद्धता एवं एक सी स्वर ध्वनियों का प्रयोग करता है ताकि संगीतमय प्रभाव उत्पन्न हो सके।

अपने अर्थ को स्पष्टता, संक्षिप्तता एवं ठोसपन देने के लिए वह विविध शैलीगत तकनीको का प्रयोग करता है। verbal Irony उसकी काव्य संरचना का प्रबल पक्ष है। वह काव्यात्मक प्रभाव उत्पन्न करन के लिए एक ही शब्द का बडी चातर्यता के साथ बार-बार प्रयोग करता है

उसका काव्य प्रतीकात्मक एवं कल्पनामय है। उसके बिम्ब संक्षिप्त, सटीक, वास्तविक और अत्यधिक सांकेतिक हैं। वे स्पष्ट हृदय प्रभाव उत्पन्न करते हैं। वह सामन्य, अस्पष्ट और अमूर्त बिम्बों के बजाय ठोस, चित्रमय एवं संक्षिप्त बिम्बों का प्रयोग करता है। उसके लिए बिम्ब विचार से अधिक महत्वपूर्ण हैं, विचारों को बिम्ब के पराधीन होना चाहिए। निष्कर्ष

रामानुजन एक कुशल शिल्पी है। भारतीय अंग्रेजी काव्य में उसकी कुशलता विलक्षण है। उसका काव्य एक विशिष्ट संस्कृति का काव्य है। वह बड़ी कुशलता के साथ अंग्रेजी मुहावरों का प्रयोग करता है। उसकी बिम्ब चित्रण कला अद्वितीय है।

चिन्ता (कविता का हिन्दी अनुवाद) यह किसी शाखाविहीन वृक्ष की भाँति भयभीत नहीं है। इसकी नंगी जड़ें है और गुप्त टहनियाँ हैं। यह आशाओं के परवलय की भाँति ज्यमितिय भी नहीं वरन् इसके निर्बल छोर हैं जो कि शीर्ष की ओर गाँठ से बँधे हैं। यही मैं हूँ।

श्वेत सर्पसा यह चौकन्ना नहीं है वरन् एसे चिकने तल पर जिस पर पानी हर्षोन्माद के साथ भागता है उस पर यह आलस्यपूर्णता एवं चिपचिपाहट से भरा ध्वनि के तुंतुओं सा खींचता है (अर्थात् जिसे यह पकड़ लेता है उसे झकझोरता तो है किन्तु आसानी से नहीं छोड़ता) लपटों के पास मात्र फेफड़े होते हैं, पानी केवल आँखे हैं और धारती के पास माँसपेशियों के लिए हड्डियाँ हैं। अर्थात् प्रारम्भ होने के बाद यह तेजी से फैलता है, असीम रुदन से भरी पीड़ा देता है और सांत्वना का संबल बटोरता है। जबकि हवा अदृश्य कबूतरों का झुण्ड है। चिन्ता को कोई ऐसा रूपकालंकार नहीं मिल सकता जिससे इसका अंत हो सके।

मूल्यांकनये पंक्तियाँ रामनुजन की अत्यधिक प्रशंसनीय कविता Anxiety की प्रारंभिक पक्तियाँ हैं। कविता ‘चिन्ता’ की प्रकृति का वर्णन करती है यद्यपि इसका वर्णन करना बहुत कठिन है।

इन पंक्तियों में कवि अनुप्रासों एवं रूपकों के माध्यम से ‘चिन्ता’ का वर्णन करने का प्रयास करता है। प्रथम पंक्ति में ही कवि एक phrase फेंकता है-free tree’ जो भय का श्रोत है; यह समझाने के लिए कि चिन्ता और भय एक समान नहीं है। भय भय तुरता का एक रूप है जबकि चिन्ता का विस्तार संभव है और यह विभिन्न रूपों में व्यक्ति को प्रभावित करती है। चिन्ता एक वृक्ष की भाँति है किन्तु यह fear tree की भाँति नहीं है क्योंकि इसकी जड़े नग्न हैं और टहनियाँ गुप्त। इसके अभ्युदय का केवल अनुमान लगाया जा सकता है किन्तु इसका विकास अथवा अन्तिम स्वरूप का अनमान नहीं लगाया जा सकता है। कवि बताता है कि चिन्ता के बारे में कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती क्योंकि चिन्ता मनुष्य को किसी भी समय घेर सकती है जबकि आशा चिन्ता का विलोम है और यह स्वयं चिन्ता पर आश्रित है। दूसरे शब्दों में चिन्ता के अभाव में आशा की कल्पना नहीं की जा सकती, चिन्ता किसी आलेखन (रूप रेखा) का अनुसरण नहीं करती।

इस प्रकार रामानुजन ‘चिन्ता’ के इस गुण की ‘आशा’ के स्वच्छन्द प्रवाह से तुलना करता है। वह ‘आशा’ को खुले सिरे वाले परवलय के वक्र का प्रतिनिधि मानता है। ‘आशा से उत्पन्न संभावनाओं को वह सकारात्मक रूप में देखता है। टिप्पणी

मूल्यांकनये पंक्तियाँ Anxiety कविता की अन्तिम पंक्तियाँ हैं। कविता में ‘चिन्ता’ की प्रकति का वर्णन करने का प्रयास है जो एक बहुत ही कठिन साहित्यिक कार्य है क्योंकि चिन्ता एक जटिल एवं अमूर्त मनो-मानवीय घटना है। इन पंक्तियों में कवि अनेक असामान्य एंव नवीन अनुप्रास एवं रूपकों का प्रयोग करता है ताकि वह इस समस्या पर विजय पा सके। वह चिन्ता की व्याख्या करने का प्रयास करता है किन्तु अपनी अयोग्यता पर दु:खी होता है। वास्तव में उसकी भॉति यह उन सभी सिद्धान्त वादियों और कवियों की अयोग्यता है जो इन जटिल मनोभावों को समझते तो हैं किन्तु उनमें ऐसी क्षमता नहीं है कि वे इन मनोभावों से छुटकारा पा सकें।

इन पंक्तियों में कुछ साहित्यिक phrases का प्रयोग किया गया है ताकि चिन्ता की दशा एवं प्रकृति को खोजा जा सके। चिन्ता जटिल एवं बंधी है। यह शीशे जैसी चमकीली अथवा भावशून्य नहीं है परन्तु उसमें झांका नहीं जा सकता क्योंकि यह रेशेयुक्त है और चिपचिपी है। चिन्ता बहते पानी की भाँति स्पष्ट एवं सक्रिय भी नहीं है। यह मोटी, रेशेयुक्त तरल पदार्थ के साथ आरभ से पलक झपकाती हुए धीरे धीरे बढ़ती है। समाधान हेतु अथवा व्याख्या हेतु चिन्ता के समकक्ष कोई रूपक नहीं है, न इसका कोई निश्चित रूप है और न ही कोई निश्चित गति। इसके केवल छोर ही हैं जो कवि के मस्तिष्क में गाँठ तक आते हैं।

तारकोल की भाँति यह ढीली ढाली और चिपकी है। इसलिए यह सदैव अन्धकारमय, रहस्यमय एवं भयभीत करने वाली है। यहाँ Flames have only wings का अर्थ है-अग्नि जो जीवित रहने के लिए हवा चाहती है; Water in all eyes का अर्थ है-बहने के लिए जल को मार्ग की आवश्यकता। दोनों ही बिम्बों का प्रयोग प्रभाव को बढ़ाने के लिए किया गया है। And the air is a flock of invisible pigeons का प्रयोग इस तथ्य को स्पष्ट करने के लिए किया गया है कि चिन्ता और आशा दोनों की प्रकृति एक दूसरे के विपरीत है। ‘आशा’ की सम्भावना सदैव  रहती है, किन्तु इसका यह उत्त्सुक मस्ति

टिप्पणी

(i) इन पंक्तियों में आत्मकथात्मक तत्व है और परिणाम स्वरूप, इस कविता के माध्यम से हम कवि का हताश स्वभाव, आन्तरिक भय और चिन्ता पाते हैं। अधिक स्पष्ट रूप से कवि की बिम्ब संरचना जटिल है। वह अपने अर्थ को सम्प्रेषित करने के लिए कुछ ही शब्दों का प्रयोग करता है, और कुछ छिपा लेता है।

(ii) कविता की भाषा सरल है लेखनशैली मुक्त छन्द में है परन्तु पंक्तियों में। आन्तरिक लय है।

(iii) इन पंक्तियों में अनुप्रास एवं रूपकों की भरमार है।

Anxiety नामक कविता की आलोचनात्मक समीक्षा परिचय

Anxiety रामानुजन के प्रथम काव्य संग्रह ‘The Striders’ (1966 में प्रकाशित) की तेईसवीं कविता है। यह समकालीन समय की हताशा ही है जिसने रामानुजन को Anxiety कविता लिखने के लिए विवश किया। चिन्ता मानवीय क्षमता का गला घोट देती है; यह जीवन की जटिल परिस्थितियों का नकारात्मक परिणाम है और जीवन में अशान्ति पैदा करती है। रामानुजन साहित्यिक साम्राज्य में इस कविता के माध्यम से इसके चेहरे ओर स्वरूप को प्रस्तुत करते हैं। चिन्ता : एक अमूर्त दशा

कविता चिन्ताके स्वभाव के बारे में है, यद्यपि इसका वर्णन करना बहुत कठिन है। इस अमूर्त दशा की सही तस्वीर पेश करने में वह अनुप्रास एवं रूपक अलंकारों का भरपूर प्रयोग करता है। वह ‘चिन्ता’ का वर्णन करने का प्रयास करता है किन्तु अपनी असमर्थता पर हताश हो जाता है, जो जटिल भावों को समझता तो है परन्तु जिसमें इन भावों का निराकरण करने की सामर्थ्य नहीं है। भय का श्रोत ‘भय-वृक्ष’ है जिसे रूपक अलंकार के माध्यम से प्रयोग किया गया है अर्थात् चिन्ता और भय समान नहीं है; भय अत्यधिक भयभीत होने का एक स्वरूप है जबकि चिन्ता का व्यापक विस्तार हो सकता है, उसके विभिन्न स्वरूप होते है जो व्यक्ति को प्रभावित करते हैं। केन्द्रीय सार कविता भारत की जटिल समस्याओं की तरफ इशारा करती है। भय मानसिक तनावों का स्रोत है। भय किसी भी कारण से हो सकता है-साम्प्रदायिक संघर्ष, माओवाद अथवा आतंकवाद। इन समस्याओं की गाँठे ढ़ील होती हैं। ये समस्याएँ किसी भी कारण से उत्पन्न हो सकती है। इन समस्यओं का कारण व्यक्तिगत चेतनता का अभाव भी है। इसीलिए कवि कहता है “चिन्ताओं के सिरे पर गाँठ बंधी है। ओर वह मैं हूँ।” यह बताने के लिए कि चिन्ताओं से युक्त रक्तवर्णित संसार क्या है, कवि चिन्ता रहित पृथ्वी की बात करता है जो जल की धारा के समान उल्लासमयी और सुन्दर है। इसके बाद कबतर शान्ति के प्रतीक हैं। जैसे हवा ताजगी प्रदान करती है, कबूतर प्रसन्नता के प्रतीक हैं।

वैचारिक विकास Anxiety एक छोटी कविता है जो परिशुद्धता, स्पष्टता एवं सारगर्भितता, सयुक्तता एवं सूक्ष्मता के लिए प्रसिद्ध है। यह कविता ‘चिन्ता’ की वास्तविक स्वरूप की व्याख्या करती है जो सार्वभौमिक है।

रामानुजन के अनुसार चिन्ता की प्रकृति का शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता। चिन्ता के अतिरिक्त अन्य सभी भावनाएँ अकेली, सीधे अथवा अनुप्रास एवं रूपकों के प्रयोग द्वारा कविता के माध्यम से परिभाषित की जा सकती हैं। कविता की प्रथम बारह पंक्तियों में चिन्ता का, जो मस्तिष्क की एक मनोदशा है, विविध अनुप्रासों एवं रूपकों के माध्यम से वर्णन करने का प्रयास किया गया है किन्तु उस चिन्ता की वास्तविक प्रकृति जो परिवर्तनशील है, का वर्णन करने में कवि असफल रहता है।

चिन्ता के अन्क रूप एवं अभिव्यक्तियाँ हैं। इसलिए कवि कहता है कि यह शाखारहित नहीं है। इसका कोई ज्यामितीय अलंकरण भी नहीं है। यह मानवीय चिन्तन को प्रभावित करती है और व्यक्ति की निराशा, हताशा और अंधकार का कारण बनती है। कवि अपने आपको चिन्ता का मानवीयकरण पाता है।

चिन्ता आशा और प्रसन्नता का विलोम है। इसे संक्षेप में स्नायुवयिक भावना जो इस भय से जन्म लेती है कि कुछ बुरा घटित होने वाला है कहा जा सकता है। परेशानी एवं भय इसके चिर साथी हैं।

संक्षेप में, प्रत्येक वस्तु को परिभाषित किया जा सकता है. आँखों से देखा जा सकता है किन्तु चिन्ता को परिभाषित नहीं किया जा सकता है। इसकी केवल अनुभूति हो सकती है। बिम्ब चित्रण Anxiety कविता यद्यपि, विषय की दृष्टि से, चिन्ता की जटिल प्रकृति को समझाने का प्रयास करती है परन्तु इसके वैचारिक (विचार धारा सम्बन्धी) विकास में कवि एक ही विषय की विशद व्याख्या करने के लिए जीवन के विस्तृत अनुभवों एवं सन्दर्भो से विविध प्रकार के बिम्ब चित्रों का प्रयोग करता है। इसमें से कुछ बिम्ब चित्र हैं-‘naked roots and secret twigs’ wakeful in its white snake,”eloping aaity of waters”invisible pigeons’. प्रत्येक बिम्ब पाठक के मस्तिष्क में एक नया आयाम खोलता है और उसे अपने जीवन के अनुभवों के बारे में सोचने को विवश करता हैं

एक लेखक जो हिन्दू विधि से जन्मित एवं पोषित किया जाता है और जिसने विश्व के नागरिक के रूप में शिक्षा प्राप्त की है आन्तरिक एवं बाह्य संघर्ष उसके काव्य का मूल आधार होते हैं। बासवराज नायकर लिखते हैं-“यह कहना अधिक उचित होगा कि हिन्दू अथवा असंख्य भारतीय रामानुजन के काव्य का आन्तरिक सार है जबकि असंख्य पश्चिमी वासी उसका बाह्य सार-और दोनों साथ-साथ विद्यमान हैं। यह मिश्रण Anxiety कविता में भी देखा जा सकता है। एक तरफ कविता में कठोर बिम्ब है- ‘it has maked roots and secret twigs’ और दूसरी तरफ कोमलता है-‘And the air is flock of in visible pegions.’ भारतीय संवदनशीलता

रामनुजन एक ऐसा कवि है जो केवल प्रत्यक्ष भाषा में बोलता है अपितु अप्रत्यक्ष भाषा का भी प्रयोग करता है। उदहारण के तौर पर वह ‘चिन्ता’ को भय के रूप में प्रदर्शित करता है-भय मनुष्य के आन्तरिक स्व: की उपज है। तरानी डेका के अनुसार, ‘रामानुजन चिन्ता को एक निरन्तर प्रक्रिया के रूप में दर्शाता है। यह इसकी प्रत्यक्ष रूप से नहीं, अपति परोक्ष रूप से व्याख्या करता है। भय चिन्ता का साथी है। इसीलिए वह इसी से प्रारंभ करता है। सभी प्रकार की चिन्ताओं की जड़ में व्यक्ति ही है…….” वह चिन्ता से सम्बन्धित विभिन्न बातों को जल, आग की लपटे, कबूतर आदि के माध्यम से समझाता है ओर अन्त में वह स्वीकार करता है कि मेरे पास इसे समाप्त करने के लिए कोई रूपक (साधना) नहीं है। किसी रूपक की सहायता से चीजों की व्याख्या नहीं कर सकता, वह तो इसे लाक्षणिकता से समझ सकता है। आत्मकथात्मक तत्व कविता की अन्तिम पंक्तियों में हम आत्म कथात्मक तत्व पाते हैं। इस कविता के माध्यम से कवि अपने निराशा से पूर्ण स्वभाव, आन्तरिक भय एवं चिन्ताएँ आदि की अभिव्यक्ति करता है

रामानुजन का काव्य कायात्मक सौन्दर्य के हीरो से जड़ित है। Anxiety कविता भी इस दृष्टि से कोई अपवाद नहीं है। कविता मुक्त छन्द में लिखी गई है, पंक्तियों में एक दूसरे के साथ कोई लय बद्धता नहीं है. केवल आनतरिक लय का प्रयोग किया गया है। यद्यपि कविता की भाषा सरल है, अधिकांश शब्द दैनिक बाल चाल की भाषा से लिये गये हैं, विषय के सन्दर्भ में कविता में अलंकारों को प्रयोग करके चिन्ता की प्रकृति को जटिल बना दिया गया है। ‘चिन्ता’ के वर्णन में कविता अनुप्रास एवं रूपक अधिक स्पष्ट रूप में, कविता का बिम्ब जटिल है। अपने अर्थ को सम्प्रेषित करने में वह कुछ शब्दों का प्रयोग करता है और कुछ को छिपा लेता है।

निष्कर्ष

संक्षेप में कविता छोटी है परन्तु अलंकारों से भरपूर है। कविता मुक्त छन्द में है किन्तु इसमें आन्तरिक लयबद्धता है। यह कवि के आन्तरिक एवं बाह्य संघर्ष को अभिव्यक्त करती है।

 

 

 

chetansati

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