BA 3rd Year Palanquin Bearers Study Material Notes in Hindi
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BA 3rd Year Palanquin Bearers Study Material Notes in Hindi: Life and works Sarojini Naidu the Nightingale of India or Sarojini Naidu the poetess or poetic Qualities of Sarojini Naidu Prescribed poem Palanquin bearers Critical Evaluation of the Passages Multiple Choice Question Long Answer Question Short Anwer Question.

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Palanquin Bearers
पालकी वाहक
‘सरोजनी नायडू भारत की बुलबुल अथवा सरोजनी नायडू : एक कवयित्री अथवा सरोजनी नायडू की काव्यगत विशेषताएँ ।
प्रस्तावना–सरोजनी नायडू अंग्रेजी साहित्य में एक महान कवयित्री हैं। अनेक काव्यात्मक गुण के कारण ही उन्हें भारत की बुलबुल माना जाता है। A.A. Ansari ने कहा है कि ‘उनकी कविता में गीतों की विशेषता के अतिरिक्त भारतीयता भी है।’ उसकी कविताओं के विषय भारतीय हैं। उसके विचार भी भारतीय हैं, उसके गीत भी भारतीय हैं। उसकी भाषा ही केवल इंग्लैण्ड की है। भारतीय रीति-रिवाज, भारतीय उत्सव, त्यौहार, पुरुष व महिलाएँ, पौराणिक गाथाएँ, कहानियाँ, बाजार, मेंले, पशु एवं पक्षी, भू-चित्र एवं गगन दृश्य उसकी कविताओं में स्थान लिये हुए है। उसकी कविता भारतीयता का प्रतिबिम्ब है।
Palanquin Bearers Study Material
धार्मिक विषय–सरोजनी नायडू भगवान कृष्ण की अनन्य भक्त थी। उसके अनेक गीत राधा और कृष्ण के लिये समर्पित है। अपने गीत ‘The Song of Radha- the Milkmid’ में वह कहती है ‘हे प्रिय, मेरा हृदय आपके सौन्दर्य रस में पगा हुआ है। वे मेरे इस उच्चारण पर बिना सत्य को पहचाने हए हँसते हैं। गोविन्दा ! गोविन्दा ! गोविन्दा ! गोविन्दा ! वह एक अंग्रेजी मीरा बाई बन गयी थी, जब उसने यह गीत गाया ‘मेरा हृदय आपका निवास स्थल है और मेरी जाँघे आपके तकिये के समान हैं। (आप यहाँ पर विश्राम करें।)
प्रेम साधना–सरोजनी नायडू भारतीय एलिजाबेथ हैं तथा ब्राऊनिंग, जॉन कीट्स तथा जॉन डन के समान प्रेम गीतों की लेखिका हैं। कवयित्री के प्रेम गीत उच्च कोटि के हैं। प्रेम उसका मुख्य विषय है। उसकी कविताओं के तिहाई भाग प्रेम गीतों से भरा हआ है। वह प्रेम मिलन एवं प्रेम विछोह दोनों ही प्रकार की कविताएँ लिखती हैं। उसकी कविताएँ निराशा, चुनौती, दु:ख, आशा, परमानन्द, सभी गुणों से भरपूर हैं। वह प्रेम के विभिन्न भागों को केवल शक्तिशाली ढंग से चित्रित नहीं करती हैं अपितु उसके विरोधी पक्ष अलगाव, ईष्या, सन्देह इत्यादि भी दर्शाती हैं। प्रेम के कोमल तथा कठोर दोनों ही भाव उसकी कविता में विद्यमान
हैं
‘मेरे हृदय में प्रेम की ज्वाला विद्यमान है। मेरे हृदय में प्रेम के पुष्प के समान कोमलता
विद्यमान है। मेरी भक्त परिपूर्ण है।
उसकी गीत लिखने को प्रतिभा-सरोजनी नायडू के पास गीतों की भरमार है। उसे भारत की बुलबुल भी कहा जाता है। उसके गीतों के विषय लड़कियों के समान हैं, परन्तु उसके गीतों को लिखने की कला उच्च कोटि की है।’ उसके गीत लिखने में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं है। Shelley और Keats के समान उसके गीत उच्च कोटि के हैं।
उसकी काव्य कला में मधुरता का बहुत महत्व है। यह कला उसने संस्कृत के Samasa (जोड़ने) से ग्रहण की है। उसने अपनी कविताओं में उपमा तथा रूपक अंलकारों का प्रयोग किया है। उसकी कविताओं में उत्तम प्रतिबिम्बों का भी प्रयोग है। उदाहरणार्थ उसने चन्द्रमा को ‘Caste mark’ नामक शब्द से सम्बोधित किया है तथा आकाश को नीली भौंहों से सम्बोधित किया है। अपनी कविता ‘Palanquin Bearers’ में उसने Shelley का अनुकरण किया है। अपने प्रसिद्ध गीत ‘Indian weavers’ में उसने जीवन तथा मृत्यु का सुन्दर चित्र प्रस्तुत किया है। प्रश्नोत्तर पद्धति ने उसके गीतों को सुन्दर बना दिया है।
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‘हे जुलाहो, तुम प्रातः काल में, इतना सुन्दर वस्त्र क्यों बुन रहे हो? इस वस्त्र का रंग हैल्कन पक्षी के पंख जैसा है
हम नवजात शिशु के लिए आनन्ददायक वस्त्र बुनते है।” हिन्दू-मुस्लिम सभ्यताओं का मिलन-सरोजनी नायडू अन्तर्राष्ट्रीय सभ्यता को मानने वाली स्त्री है। वह जाति और धर्म की संर्कीण विचारधारा को नहीं मानती है। वह भारत में विभिन्न धर्म और सभ्यता के प्रति आकर्षित होती है। उसकी कविताओं में भारत के दो महाकाव्य, रामायण और महाभारत तथा पौराणिक कहानियाँ तथा राधा और कृष्ण का वर्णन है। उसने अपनी कविताओं में भारतीय त्यौहारों, विवाह की रस्में, मंदिरों और देवी-देवताओं का वर्णन किया है। लेकिन वह अन्य प्रकार के धार्मिक रीति-रिवाजों को भी मानती है। वह बौद्ध और इस्लाम धर्म को भी मानती थी। उसका बचपन हैदराबाद में बीता था। वहाँ पर जीने का अनोखा ही ढंग था। वहाँ हिन्दू-मुस्लिम शताब्दियों से मिलकर साथ रहे थे। उनकी कला और सभ्यता भी अनूठी थी। इस प्रकार उसकी कविताओं में अपनी शहर की सभ्यता की अनूठी छाप है।
उपसंहार–सरोजनी नायडू ने अपनी कविता में भारत का वर्णन किया है। वह एक महान दार्शनिक है। ‘Indian Weavers’ में उनके दार्शनिक विचारों का एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत किया है। इस कविता में उन्होंने जीवन और मृत्यु का वर्णन किया है। जीवन में तीन अवस्थाओं-जन्म, विवाह और मृत्यु को उन्होंने प्रतीकों के माध्यम से व्यक्त किया है। प्रातः बच्चे के जन्म का प्रतीक है। आकर्षक रात्रि विवाह के आनन्द को प्रदर्शित करती है जबकि चन्द्रमा की दमक मृत्यु का प्रतीक है। जुलाहे नवजात शिशु के लिये आनन्दयुक्त वस्त्र बुनते हैं। दुल्हन के रंग-बिरंगे वस्त्र तथा एक मृतक व्यक्ति के लिये सफेद कफन बुनते हैं। जुलाहे कवयित्री को जीवन की तीन अवस्थाओं का वर्णन करते हुए उत्तर देते हैं।
हैल्कन पक्षी के नीले रंग के पखों के समान हम नवजात शिशु के वस्त्र भी नीले ही बना रहे हैं। _ – – – – – – – – – – – – – – – – मोर के पंखों के समान हरे और बैगनी रंग के कपड़े हम रानी के विवाह के लिये बना रहे हैं।
पालकी के कहार (कविता का हिन्दी अनुवाद) हम उसे (पालकी को) बहुत हल्के से लेकर चलते हैं। वह हमारे गीतों की हवाओं में एक फूल की भाँति झूमती है। वह एक जलधारा के झाग को स्पर्श करते हुए उड़ रही एक चिड़िया की भाँति ऊपर उड़ती है। वह स्वप्नलिप्त व्यक्ति की मुस्कान के समान तैर जाती है। हम प्रसन्न-चित्त, आकर्षक से हल्के-हल्के कदमों से गाते हुए सहजता से निकल जाते हैं। हम उसे इस प्रकार ले जाते हैं जैसे किसी डोरे पर फिसलता हुआ मोती।
हम उसे कोमलता, अत्यन्त कोमलता से लेकर चलते हैं। वह हमारे गीत की शबनम में एक सितारे की भाँति झूलती है। वह अपने बाँस पर इस भाँति उछलती है जैसे प्रकाश की किरण ज्वार-भाटे के शिखर को छूकर परावर्तित होती है। वह नववधू की आँख से लढकते आँस के समान नीचे आती है। हम हल्के, बहुत हल्के सहजता से गाते हुए चलते हैं। हम उसे इस प्रकार ले जाते हैं जैसे किसी डोरे पर फिसलता हुआ मोती।
मूल्यांकन–पालकी चालक (कहार) अत्यधिक प्रसन्नता के साथ पालकी ले जा रहे हैं। उनको आनन्दित देखकर कवयित्री उनकी क्रियाओं पर टिप्पणी करती है।
कवयित्री पालकी वाहकों की क्रियाओं पर टिप्पणी करती है जो अपने कन्धों पर पालकी ले जा रहे हैं। वे बिना थकावट महसूस किये पालकी को धीमी एवं नम्र गति के साथ ले जा रहे हैं। वे इसकी तुलना असंख्य वस्तुओं से करते हैं। सर्वप्रथम इसकी तुलना फूल से करते हैं। जैसे एक फूल हवा के झोंके के साथ झूमता है, उसी तरह, पालकी चालकों के गीत रूपी हवा के साथ हिलती है। अब यह छोटी नदी के बुलबुलों के ऊपर चिडिया के समान उडती हई लगती है। फिर से इसकी तुलना एक मुस्कुराहट और हँसी के साथ की जाती है जो किसी के होंठो पर आती है जब वह स्वप्न देखता है। वे अपना कार्य प्र. नतापर्वक कर रहा है। अपने रास्ते पर जाते हए, वे गा रहे हैं और पालकी को ऐसे लेकर जा रहे हैं जैसे यह एक तार पर बहुमूल्य मोती हो।
टिप्पणी–वह विचार जो कवयित्री अभिव्यक्त करना चाहती है पूर्णतया स्पष्ट है। उपमा का अच्छा प्रयोग किया है।
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मुल्याँकन–सरोजनी नायडू निरन्तर पालकी–चालको की क्रियाओं का वर्णन कर रही है। वे अपने रास्ते पर हैं, अत्यधिक नम्रता के साथ वे अपने कन्धे पर पालकी ले जा रहे हैं। उनके द्वारा बहुत सी तुलनायें की जाती हैं। वे आगे बढ़ रहे हैं, आनन्द ले रहे हैं और गाना गा रहे हैं। उनके गाने की ध्वनि चारों तरफ ओस के समान फैल गयी है। इस गीत रूपी ओस के मध्य, पालकी एक तारे के समान लगती है। जब वह हिलती है यह रोशनी की किरण के समान लगती है जो पानी के उतार-चढ़ाव पर चमकती है। अब इसकी तुलना एक आँस से की जाती है जो नयी दल्हन की आँख से गिरता है। बहत धीरे-धीरे एवं नम्रता के साथ वे आगे बढ़ रहे हैं और आनन्द के साथ गा रहे हैं। वे पालकी को अत्यधिक सावधानी के साथ ले जा रहे हैं मानो कि यह किसी धागे में पिरा हुआ बहुत बहुमूल्य (मोती) पत्थर हो।
टिप्पणी–कविता साधारण है किन्तु चुनिन्दा शब्दों के साथ अत्यधिक प्रभावशाली है। उपमा का प्रयोग अच्छा है। नायडू द्वारा लिखी गई है। उसकी समस्त कवितओं की विषय-वस्तु भारतीय है. विशेष रूप से भारतीय ग्रामीण जीवन से सम्बन्धित है।
लगभग आठ दशक पूर्व, पालकियों का प्रयोग अधिकांशत: सवर्ण महिलाओं को ले जाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों और कस्बों में किया जाता था जहाँ आने-जाने के साधन पर्याप्त नहीं थे। इस सुन्दर कविता में कवयित्री पालकी वाहकों की प्रतिक्रिया पर, जो पालकी को प्रसन्नता
और आनन्दपूर्वक ले जा रहे हैं. टिप्पणी करती है। कवयित्री सुन्दर चुने हुए शब्दों में अपने भावों का प्रदर्शन प्रभावी ढंग से करती है।
सरोजनी नायडू को ‘भारत कोकिला‘ के रूप में याद किया जाता है। उसकी कवितायें चिड़ियों जैसा गुण रखती हैं। निश्चित ही वह मधुर कल्पना एवं आकर्षक लय की गायिका हैं। सरोजिनी हमेशा अपनी प्रेरणा भारतीय वातावरण से लेती थी। ऐसा ही इस कविता Palanquin Bearers के साथ है।
महान कविताओं में से एक “Palanquin Bearers” एक छोटी, साधारण किन्तु मन्त्रमुग्ध करने वाली है। इस कविता के माध्यम से कवयित्री अपने स्वयं के विचारों को सामने रखती है।
वैचारिक विकास–यह स्पष्ट है कि यह कविता बहुत ही मामूली विषय-“पालकी चालकों” की क्रियाओं का चित्रण करती है। किन्तु इसमें उपयुक्त आकर्षण है, हमारा ध्यान आकर्षित करने के लिए। सरोजिनी पालकी वाहकों की क्रियाओं एवं गति पर टिप्पणी करती है, जो अत्यधिक प्रसन्नता के साथ पालकी ले जा रहे हैं। वे अपने कार्य करने में थकावट महसूस नहीं कर रहे हैं, बल्कि वे पूर्ण हृदय के साथ इसका आनन्द ले रहे हैं। पालकी को पूर्णत: सुरक्षित ले जाने के लिए वे अपने कदम धीरे-धीरे रखते हैं और धीरे से आगे बढ़ते हैं। वे गाने के माध्यम से अपने विचार व्यक्त करते हैं जो उनके प्रसन्नचित मन को दर्शात हैं। उस गाने रूपी हवा में, पालकी इधर-उधर झूमती है। उन्हें ऐसा लगता है जैसे कि यह एक चिडिया के समान छोटी नदी के झाग के ऊपर उड़ती है और कभी-कभी यह इतनी प्रसन्नचित्त लगती है जैसे कि स्वप्न देखते हुए किसी व्यक्ति के होठों पर मुस्कान।
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“वह एक स्वप्न के होठों पर हंसी के समान बहती है,
हम उसे एक तार पर मोती के समान ले जा रहे हैं।” फिर, इसकी तुलना तारे रोशनी की किरण, नयी दुल्हन के आँखों से गिरते आँसू आदि के साथ की जाती है। आनन्द से गाने गाते हुए, तार पर मोती के समान पालकी ले जा रहे हैं जो उनके लिए एक बहुमूल्य मोती की तरह है। इसलिए वे सावधानी वे पूर्वक धीरे-धीरे चलते हैं। पालकी चालकों की कार्य करते समय सभी क्रियायें इस कविता में प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत की गयी हैं।
कवयित्री की भावनाओं की अभिव्यक्ति–कवयित्री एक भारतीय नारी है। उसका भारतीय जीवन से गहरा सम्बन्ध है। प्रस्तुत कविता “Palanquin Bearers” भी एक भारतीय पालकिया उस समय प्रयुक्त की जाती थीं जब कवयित्री मात्र एक बच्ची थी। कहीं-कहीं पहाड़ी क्षेत्रों में जहाँ आने-जाने के साधन बहुत कम हैं, पालकियों का प्रयोग आज के समय में किया जाता है। इस प्रकार उसकी “Palanguin Bearers” की कल्पना बिल्कुल सत्य है। यह नितान्त सत्य भारतीय दृश्यावली है।
उसकी कल्पना–कवयित्री ने बहुत महत्वपूर्ण कल्पनाओं का प्रयोग किया है-एक फूल, एक उड़ती हुई चिड़िया, आकाश मण्डल में एक गतिशील तारा, पालकी में हँसती हुई एक दुल्हन, और प्रसन्नतापूर्वक गाते हुए तथा पालकी ले जाते हुए पालकी वाहक। इन कल्पनाओं द्वारा एक तरफ तो कवयित्री एक युवती की सुन्दरता, कोमलता और जवानी का ओर दूसरी ओर भारी पालकी को प्रसन्नतापूर्वक ले जाते हुए पालकी वाहकों का वर्णन करती
शैली और शब्दावली–कविता 12 पंक्तियों में एक बहत अच्छी शैली की है। कवयित्री द्वारा चने गये शब्द अत्यन्त ही सरल और प्रभावशाली हैं। कविता का भाव इतना अधिक उच्च स्तरीय नहीं है कि उसको समझा न जा सके। पालकी वाहक गीत गाते हैं और वे गीत उनको प्रसन्न करने के लिए हैं। उनका मुख्य उद्देश्य पालकी के वजन को हल्का करना है। उनके गीत केवल लोकगीत हैं। कविता की भाषा आलंकारिक है। भाषा में उपमा तथा अन्योक्ति अलंकारों का विशेष रूप से प्रयोग हुआ है। कविता की विषय-वस्तु वास्तविक है जो कवयित्री द्वारा प्रयुक्त शब्दावली से सुन्दर बनाई गई है। सम्पूर्ण कविता एक लोक गीत है। दो चरण विचारों का वास्तविक विकास नहीं करते, लेकिन कुल मिलाकर सन्तुलन का निर्माण अवश्य करते हैं।
काव्यात्मक गुण–सरोजिनी नायडू का काव्य गीतात्मक है। ऐसी ही Palanquin Bearers नामक कविता है। यह मधुर लय एवं रंगीन प्राकृतिक संसार की कल्पना से परिपूर्ण है। कवयित्री ने अपने विचार साधारण किन्तु प्रभावशाली तरीके से अभिव्यक्त किये हैं। इसकी विषय विस्तु भारतीय सन्दर्भ से मिलती-जुलती है जो पालकी चालकों के आनन्द से परिपूर्ण मन का वर्णन करती है। सरोजिनी नायडू द्वारा प्रयुक्त भाषा साधारण है किन्तु शब्दों का चुनाव काफी अच्छा है और कवयित्री के उद्देश्य के लिए उपयुक्त है। प्राकृतिक वस्तुओं जैसे कि फूल, हवा, चिड़िया, नदी के झाग, तारे, किरण आदि आनन्दमय तरीके से प्रयुक्त किये गये, एवं सीधे प्रकृति से चित्रित किये गये हैं जो सरोजिनी को अत्यधिक प्रिय हैं। विभिन्न वस्तुओं के साथ पालकी की तुलनायें आकर्षक हैं। उपम का प्रयोग अत्यधिक मात्रा में किया गया है। संगीत, उपमा और लय इसे अच्छी कविता बनाते हैं। सरोजिनी नायडू की साधारण कविताओं में से एक ‘Palanguin Bearers’है जो अपनी लय के लिए महत्त्वपूर्ण है और कवयित्री के रूप में नायडू की कुशलता दर्शाती है कि वह मामूली विषय का भी पूर्णता के साथ चित्रण कर सकती है ताकि इसे आकर्षक एवं स्मरण योग्य बना सके।
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