BA Poem Dedication Notes Study Material in Hindi

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BA Poem Dedication Notes Study Material in Hindi 

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Poem Dedication Notes
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Poem Dedication

इस कविता में सभी बिम्ब एवं प्रतीक ‘भूख’ से ही सम्बन्धित हैं। कामातुर वक्ता मूलभूत मानवीय ‘भूख’ का प्रतीक है। मछुआरा अपनी आत्माओं की सभी भावनाओं को अलग कर देता है और अपनी पुत्री को वेश्यावृत्ति के लिए समर्पित कर देता है। मछुआरे की पुत्री भी ‘भूख’ का प्रतीक है। जब वह अपने आपको वक्ता की वासना पूर्ति के लिए समर्पित करती है, उसका शरीर रबर की भाँति ठण्डा है और वह मछली की भाँति दायें-बाये फिसलती है। भूखः दो अर्थ कविता सेक्स, सन्तुष्टि और भयानक निर्धनता का विषय लिये है। यहाँ ‘भूख’ का दोहरा अर्थ है। एक पेट की भूख और दूसरी पेट के नीचे की भूख। कविता में दो प्रकार को भूखों’ का चित्रण किया गया है। नायक कामक्षुधा से पीड़ित है। इसलिए वह अपनी काम क्षुधा की पूर्ति के लिए एक स्त्री की तलाश में बाहर जाता है। मछुआरा और उसकी पुत्री भूख से व्याकुल हैं, एक ऐसी भूख जो गरीबी का परिणाम है। जीवित रहने के लिए कुछ कमाने के उद्देश्य से मछुआरा उस व्यक्ति को अपनी पुत्री सोंप देता है। जैसे ही वह अपने Wormy legs खोलती है, मनुष्य को वहाँ भी ‘भूख’ दिखाई पड़ती है। एक भारतीय कविता

कवि हमारे देश में प्रचलित घृणित दशाओं का चित्रण करता है। गरीबी और भूख इतनी गहरी समस्याएँ हैं, कि अनेक परिवार अपनी स्त्रियों को बेचने के लिए विवश हो जाते हैं। यह तथ्य वास्तव में हृदय विदारक है। जब मछुआरा अपनी पुत्री को नायक को सोंपता है, ग्राहक महसूस करता है, ‘आकाश मर ऊपर गिर पड़ा’ वह सोच सकता है कि मछुआरे ने अपनी पुत्री के ग्राहकों को जाल में फंसाने की सभी तरकीबें अपना ली हैं। उसके लिए अपनी पुत्री के शरीर के बेचना सामान्य बात हो गई है।

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कविता एक दुखद चेतना का चित्रण करती है जो महापात्र की एक विशेषता है। मछुआरे के झोंपड़े के वर्णन के द्वारा कवि ने इस घृणित संसार में भूख और अभाव का प्रभावी चित्रण किया गया है।

उपर्युक्त पंक्ति में wound शब्द गन्दी बस्तियों में रहने वालों की कष्टदायक और असहाय दशाओं का वर्णन करता है। wound स्त्री के जननांग का भी प्रतीक है, जो जब वह खुलता है, wound की भाँति दिखाई पड़ता है। शान्त कविता

आर० पार्थ सारथी बताते हैं कि कविता में शान्ति है। परन्तु इस शान्ति में शब्दों से अधिक वाक् चातुर्यता है। कविता के तीनों ही पात्र मुश्किल से बोलते हैं। वास्तव में केवल मछुआरा ही स्पष्ट और कठोर शब्द बोलता है। नायक तो केवल देख सकता है ‘afather exhausted wife’ को तो भी, सम्पूर्ण कविता में व्याप्त यह शान्ति नाटक के सभी कष्टों को प्रभावी ढंग से उजागर कर देती है। हम भी नायक की भांति सोचने लगते हैं कि काश! आकाश हम पर गिर पड़े। काव्यात्मक शैली

कविता की शब्दसंरचना सरल है, यह प्रतीकात्मक बिम्बों से लदी हुई है। इस प्रकार न्यूनतम शब्दों में अधिकतम सन्देश दिया गया है। नायक की काम क्षुधा को इस प्रतीकात्मक बिम्ब के साथ प्रदर्शित किया गया है-‘The flesh was heavyon my back.’ मछुआरे के शरीर को इन शब्दों में बिम्बित किया गया है-‘I saw his white bone thrash his eyes’. इस प्रतीकात्मक बिम्ब के अन्य उदाहरण है

पाणिकर के शब्दों में, Hunger अंग्रेजी में भारतीय काव्य की शीर्ष कविताओं में से एक है। यह कविता एक मानवीय विवरण पत्र है; इसकी शक्ति शब्द और उसकी व्यवस्थ से स्थापित अनुभव पर आधारित है। यह साहित्यिक एवं आलंकारिक भाषा का सुन्दर मिश्रण भूख (कविता का हिन्दी अनुवाद)

यह विश्वास करना मुश्किल था कि देह मेरी पीठ पर भारी थी। मुछआरे ने लापरवाही से कहा-तुम उसे पाना चाहोगे। अपने जाल और अपनी नसों को फैलाते हुए, मानो उसके शब्द उसके लिए उद्देश्य की पवित्रता को स्थापित कर रहे हों। मैने उसकी हड्डियों की सफेदी को, उसकी आँखों में लजाते हुए देखा कि कैसे वह अपनी विवशता को अपने ही लिए न्यायसंगत बना रहा था किन्तु अपनी ही आँखों में गिरता जा रहा था।

मैंने विशाल रेत पर उसका अनुसरण किया। मेरा हृदय मेरी सांसों के साथ जोर-जोर से धड़क रहा था। जैसे ही, मैं आशाओं के साथ उस घर के भीतर गया जो मेरे घर जैसा था किन्तु जिसे मैने ही जला दिया था, चुप्पी ने मेरी बाँह को जकड़ लिया। उसका शरीर उसे कचोट रहा था, समुद्र के ऊपर फेंके जाल को उसने खींच लिया था। वह ग्राहक को ले आया था।

चंचल अंधेरे में उसका दुर्बल शरीर एक घाव की तरह खुला हुआ था। में हवा की भाँति (आवारा) था और दिन व रात मेरे सामने थे (यह मेरे जीवन का प्रारम्भ काल था)। तालपत्र जैसी समुद्री वनस्पति ने मेरी त्वचा को खरोंचा। झोंपड़ी के अंदर एक तेल का दीपक बहुत देर से जल रहा था और कमरे को रोशन कर रहा था। बहुत देर से किसी ग्राहक की प्रतीक्षा की जा रही थी। मेरे कृत्य की चिपचिपी कालिख मेरे मन को निरन्तर कचोट रही थी।

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मैं उसे कहते हुए सुनामेरी बेटी, केवल पंद्रह वर्ष की है………उसे महसूस करो। (उसके साथ सम्बन्ध स्थापित करो)। मैं जल्दी ही वापस आऊंगा, तुम्हारी बस नौ बजे यहाँ से रवाना होगी। आसमान मझ पर गिर पड़ा, और एक पिता का छल पूरा हो गया। लंबी दुबली, उसके वर्ष रबर की भाँति खडे थे। (वर्षों से इस अनमने कृत्य को झेलते हुए उसमें जीवन का उत्साह समाप्त हो गया था।) उसने अपनी कीड़ों जैसी ढांगे फैला ली। मैने वहाँ भूख को महसस किया और फिर एक मछली चिकने तल पर भीतर सरक गई।

शरीर के चिन्ह। Trailing-draging/spreading over asurface किसी तल पर घसीटना/फैलाना। Nerves : massage carrying fibers in the body नस, नाडियाँ। Sanctified-make pure or free from sin or guilt yfirbora total! Thrash move or stir about violently गहना। Sprawling-spreadingunevenly बेकायदा फैलाना। Thumping-sound of a heavy blow with the hand जोर से थपथपाने की आवाज। Sling-thronging byy-shaped stick गुलेल से फेंका जाना। Clawed -to make a scar by the animal nails पंजे से खरोंचना। Froth-small bubbles formed in or on a liquid TMI Flickering-a momentary flash of light Feufchat Palm fronds-Rise and fall in the level of the sea समुद्री ज्वार। Shack – small crude shelter used as a dwelling कुटिया, झोपड़ी। Splayed-turned outward in an ungainly manner फैल जाना। Exhausted wile-end of the tricks to deceive someone चुक जाने वाले तिगड़म। Wormy-nasty or unethical चरित्रहीन, कीड़ों के समान। Sitheringmoving on a slippery surface सरकना, फिसलना।

मूल्यांकनइन पंक्तियों में कवि Hunger शब्द का प्रयोग मूल अर्थ में तथा प्रतीकात्मक अर्थ में करता है। वह इसमें एक मछुआरे के जीवन की सच्ची घटना का वर्णन करता है जो भोजन के लिए अपनी भूख की सन्तुष्टि हेतु नायक (एक अजनबी) को अपनी पन्द्रह वर्षीय पुत्री के साथ वासना तृप्ति के लिए आमन्त्रित करता है।

यहाँ कवि एक ऐसे बिम्ब का चित्रण करता है जब “देह पीठ पर भारी हो गई थी’ अर्थात् उसकी कामेच्छा उस पर बलवती होती जा रही थी। यह ही इस कविता का मूल बिन्दु है। यह कविता हमें यह भी आभास कराती है कि काम वासना की तप्ति के लिए मनुष्य देह-व्यापार केन्द्रों पर अवैधानिक रास्ते तलाशता है, जहाँ नैतिकता गरीबी के साथ समझौता करती है। अगली तीन पंक्तियों में कवि गरीब मछुआरे की असहायता और संघर्ष को अभिव्यक्त करता है, ग्राहक को जो अपनी (ग्राहक की) वासना की भूख को उसकी पुत्री के साथ सन्तुष्ट करे। दूसरी पंक्ति में हम उसके व्यवहार और शब्दों में प्रत्यक्ष संघर्ष पाते हैं, तीसरी पंक्ति में हम उसके संघर्ष का कमजोर प्रबन्धन पाते हैं और अन्तिम पंक्ति में हम आन्तरिक प्रत्यक्ष संघर्ष पाते हैं जिसका मूल आधार मनोवैज्ञानिक है किन्तु जो उसके सम्पूर्ण अस्तित्व को प्रभावित करता है।

मूल्यांकनयह जयन्त महापात्र की Hunger कविता का दूसरा पद है। यहाँ कवि वर्णनकर्ता और पुत्री के पिता जो अपनी दो प्रकार की भूख-पेट की भूख और पेट के नीचे की भूख को शान्त करने के स्थान पर जा रहे है, की मनोवैज्ञानिक स्थिति का वर्णन करता है।

कवि उन बाह्य बिम्बों का चित्रण करता है जो वर्णनकर्ता (अजनबी) के हृदय में उठने वाली उथल पुथल तथा गरीब लड़की के पिता के असहाय मन में उठ रही हैं। कवि वर्णनकर्ता की मनोवैज्ञानिक दशा का वर्णन करने के लिए “विस्तृत फैली रेत’, ‘मस्तिष्क को थपथपाती’ जैसे बिम्बों का प्रयोग करता है। यहाँ पर कवि अन्तिम बिम्ब का प्रयोग करता है ‘burning the house he lived in’ इस बिम्ब के माध्यम से वह अपने उस शर्मनाक कार्य का बहिष्कार और आलोचना करता है जिसके लिए वह उस घटिया स्थान पर आगे बढ़ रहा है। पिता की मनोवैज्ञानिक दशा का चित्रण करने के लिए वह ऐसे बिम्बों का प्रयोग करता है-clawed at the forth’, ‘his old nets had only dragged up from the sea’. इसका अर्थ है कि पिता अपनी पुत्री के वेश्यावृत्ति कार्य के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभाने को पसन्द नहीं करता है तथापि कुछ अपरिहार्य कारणों और विपरीत परिस्थितियों के कारण वह ऐसा करने के लिए विवश है। टिप्पणी

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(i) Hunger कविता की ये पंक्तियाँ सम्पूर्ण कविता को एक उच्चस्तरीय मनोवैज्ञानिक कविता बना देती हैं। इन पक्तियों में प्रयुक्त बिम्ब चित्र घटना का चित्रण करने लिए न केवल बाहय सांसारिक घटनाओं से लिए गये हैं अपितु कमजोर सामाजिक दशाओं के प्रति पाठक को भी उद्वेलित करते हैं।

(ii) भाषा सरल है और कहीं कहीं आन्तरिक लय परिलक्षित होती है जैसे ‘sprawling sands, ‘Thumping in the flesh’s sling’, तथा ‘silence gripped my sleeves.’

मूल्यांकनइन पंक्तियों में कवि दो प्रकार की क्षुधा-देह-सम्बन्धित और निर्धनता सम्बन्धित के मध्य तुलना करते हुए, वर्णनकर्ता की मौन-क्रिया का वर्णन करता है।

कवि दो प्रकार की भूखों का वर्णन करता है-एक, शारीरिक भूख और दूसरी कामुक भूखा पद की प्रथम दो पंक्तियों में कवि गरीबी से उत्पन्न भूख की गंभीरता का वर्णन करता है जो एक मछुआरे (पिता) को अपनी पुत्री को शर्मनाक कार्य में धकेलने को विवश करती है। अन्तिम दो पंक्तियों में वह दूसरी भूख का वर्णन करता है, जो मौन है और जिसमें शब्दों एवं भावनाओं का आदान-प्रदान नहीं होता। मध्य की दो पंक्तियों में, कवि एक पिता की असहायता और पुत्री की उदासीनता को पाटता है-यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो आसमान के गिरने जैसी भारी है और महसूस व वर्णन न की जा सकने वाली चुप्पी का कार्य है। मछुआरे व उसकी पुत्री की घोर निराशा मानव अस्तित्व के प्रत्येक प्रेम से परिपूर्ण कौने पर घातक प्रहार करती है। टिप्पणी

(i) पद मं दो बिम्ब संरचना हैं- देह सम्बन्धित एवं निर्धनता सम्बन्धित विधि जिसमें दो दोनों ही बिम्ब चित्र एक दूसरे से लिपटे हैं, पूरी कविता को प्रभावी बना देती हैं। इसके मध्य एक प्रकार का व्यंग्य भी है।

(ii) Wormy शब्द का प्रयोग महत्पूर्ण है क्योंकि यह ही एक मात्र शब्द है जो मछुआरे की पुत्री की असहायाता को दर्शाता है।

 

 

 

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chetansati

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