BA 3rd Year Unrest Desire Study Material Notes in Hindi

BA 3rd Year Unrest Desire Study Material Notes in Hindi: Introduction His views on Poetry Variety of Themes love and Sex Landscape Poetic Craftsmanship languages and Style Use of Figures of Speech Conclusion Critical Evaluation of the Passages prescribe Poem Critical Evaluation of the Passages Introduction Structure Control Theme Blending of External Environment and Inner Instincts :

Unrest Desire Study Material
Unrest Desire Study Material

Corporate Accounting Notes in Hindi

Unrest Desire

केकी एन. दारुवाला : एक कवि के रूप में परिचय

केकी एन. दारुवाला सर्वश्रेष्ठ आधुनिक इन्डो-एग्लियन इंग्लिश कवियों में से एक हैं। उन्होंने भारतीय अंग्रेजी साहित्य के क्षेत्र में व्यापक विस्तार किया है और अनेक रूपों में इसे धनी बनया है तथापि यह आश्चर्यजनक और साथ ही निराशाजनक है कि ऐसे कवि की काव्य क्षमता आलोचकों के लिए उपेक्षित रही। काव्य कला पर उनके विचारदारुवाला के विचार में कविता में संरचना की तुलना में भाव (विषय) अधिक महत्वपूर्ण है। वह स्वीकार करते हैं कि उनके लिए कविता सर्वप्रथम व्यक्तिगत -व्याख्यात्मक होनी चाहिए, अक्सर तनावमुक्त होनी चाहिए और व्यक्ति के आन्तरिक संसार में सहायक होनी चाहिए। साथ ही इसे सामाजिक भूमिका भी निभानी चाहिए। उनका यह भी विचार है कि काव्य भू-दृश्य से सम्बन्धित हो, भौतिक स्वरूप एवं

आत्मिक स्वरूप दोनों में उनके लिए काव्य का उद्देश्य उसका भावशमक अथवा विरेचनात्मक होना है। विषयों की विविधता दारुवाला विस्तार पूर्वक एवं सूक्ष्मता से, तत्कालीन भारतीय सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य का व्यंग्य और कटाक्ष के साथ चित्रण करते हैं। वे साम्प्रदायिक तनावों की बुराइयों, सामुदायिक झगड़ों, शोषण, लालच, राजनीति का अपराधीकरण और दहेज की बुराइयों को कविताओं के माध्यम से उजागर करते हैं। वे साम्प्रदायिक झगड़ों के विश्व, कॅप!, भोंपू की आवाज, वारन्ट्स, रात्रि में मनुष्यों को पकड़ना, एकत्रित भीड़ पर लाठी बरसाना, सोड़ा बोतल एवं एसिड बल्ब्स, छतों पार ईट-पत्थर एवं प्रेस विज्ञापन आदि का मानों आंखों देखा हाल बताते हैं। Migrations कविता में वह ग्रामीण समुदाय के विघटन का वर्णन करते है।

स्वतन्त्र भारत में भ्रष्टाचार के समाजीकरण से Hunger 74 तथा Hawk में अपनी गहरी चिन्ता प्रकट करते हैं। आर्थिक विषमता, अन्याय एवं शोषण डकैतों और सशत्र लुटेरों को जन्म देते हैं। अपराधियों, राजनीतिज्ञों और नौकरशाहों ने अपवित्र सन्धि गुट बना लिये हैं। सूखा और अकालों के दौरान लोगों के कष्टों से मुनाफाखोर और जमाखोर अपनी पूँजी बनाते हैं। वास्तव में ये सभी सफेदपोश अपराधी हैं जो भ्रष्टाचार एवं रिश्वतखोरी पर फलते फूलते हैं। प्रेम और वासना

दारूवाला के काव्य में प्रेम और वासना का महत्वपूर्ण स्थान है। Unrest of Desires में जो Keeper of the Dead पस्तक में संकलित है, कवि अपने प्रारम्भिक शादी-शुदा अनुभवों को स्मरण करता है। वह पति-पत्नी के मध्य संसर्ग की विस्तृत व्याख्या करता है और कहता है कि कार्मच्छाएँ मोसम के साथ बदलती हैं। आकर्षक कामुक दृश्य कामेच्छा को उद्दीप्त करते हैं। वह सहवास क्रिया, मनोदशा एवं भावनाएँ, जो काम सन्तुष्टि के क्षणों में उस जोड़े को जकड़े रहती हैं, का मनोहारी चित्रण करता है। प्रेम के प्रति उसकी धारणा न तो दार्शनिक है और न ही आध्यात्मिक। उसके अनुसार खुशमय जीवन के लिए काम सन्तुष्टि अनिवार्य है। भू-दृश्यावलि

दारूवाला के काव्य की विशिष्टता हैउत्तर भारत के विविध भू-दृश्यों का विस्तृत एवं आकर्षक चित्रण। उसकी नदियाँ, पर्वत, मैदान एवं चरागाहों बड़े सुन्दर ढंग से चित्रण किया गया है। The Ghagra in spate में नदी-दृश्य के भयानक पहलू का चित्रण है। कवि नदी के परिवर्तन मनोदशाओं एवं स्वरुपों का सूक्ष्म अवलोकन करता है। The Parijat में प्रकृति की कोमल एवं शान्त मनोदशा का चित्रण है। Crossing of Rivers में रात्रि दृश्य, नदी दृश्य, कीचड़ दृश्य, एवं भूत दृश्य अत्यधिक आकर्षक शब्द चित्र हैं।

दारूवाला के काव्य की पृष्ठभूमि अति प्राचीन काल की लोक कथाओं एवं पौराणिक गाथाओं पर आधारित है। अपनी कविताओं में वह ऐसे शब्दों का स्वच्छन्दता से प्रयोग करता है जो हिन्दुओं के संस्कारों एवं धार्मिक कृत्यों के प्रतीक हैं जैसे मन्त्र, पंचतीर्थ, आश्रम। काव्य-शिल्पकारिता

काव्य शिल्पी के रूप में दारूवाला एजेकील, रामानुजन एवं कमला दास से भी आगे निकल जाते हैं। वह एक सचेत शिल्पी है जिसका भावनाओं, भाषा. मितव्ययिता  समझ की मौलिकता, छन्द की लयबद्धता, व्यग्यं एवं कटाक्षों का प्रयोग, गढ़ी हुई । क्रियात्मक कल्पनाएँ, भू-दृश्य, कलाचित्रण, भाषा का धनाढ्यपन और शब्द शैली में। सुरुचिपूर्ण परिवर्तन एवं सुधार के सम्बन्ध में कोई समकक्ष नहीं है। भाषा एवं शैली दारूवाला अपने काव्य में भाषा का प्रयोग दक्षतापर्वक करता है। वह विभिन्न । प्रकार की शैलीगत तकनीकों का प्रयोग करता है जो उसकी कविताओं के विविध विषयों से मेल खाती हैं। सहजता, स्वाभाविकता उसके काव्य को दूसरों से पृथक करती है। Crossing of Rivers कविता विषय भाव के सम्बन्ध में चिन्तन और भावनाओं की गहनता के लिए और अभिव्यक्ति की दृष्टि से सहजता और सरलता के लिए जानी जाती है।

उसकी शैली अत्यधिक प्रभावशाली (उत्कृष्ट) हो जाती है जब विषय वस्तु ऐसी मांग करे। वह आधुनिक मुहावरों का आधनिक परिस्थितियों, और तेजी से बदलते सामाजिक परिदृश्य का वर्णन करने के लिये, बड़ी चतुराई से प्रयोग करता है। भू-दृश्यों के विभिन्न पहलुओं के चित्रण मे वह रंगीन (रोचक) शब्दों का कुशलतापूर्वक प्रयोग करता है। उदाहरण के लिये, Ghaghra in Spate कविता में, वह घाघरा नदी की विविध मनोदशाओं एवं स्वरूपों का विविध रंगीन शब्दों में चित्रण करता है। ये रंगीन शब्द कविताओं में चित्रात्मक प्रभाव उत्पन्न करते हैं।

अपनी काव्यात्मक अभिव्यक्ति को उपयुक्तता प्रदान करने के लिए वह नये शब्दों को गढ़ता है जैसे treeline, floor boards, sail boats, भारतीय भावनाओं के प्रदर्शन के लिए वह भारतीय शब्दों का प्रयोग करता है जैसे खाकी, पण्डा, घाट आदि। बिम्ब चित्रण उसका बिम्ब चित्रण विस्तृत वास्तविक एवं आकर्षक है। उसके चित्र हिन्सा. मृत्यु और विनाश को दर्शाते हैं। वह अपने अनुभवों को सु-चयनित एवं सु-शिल्पित चित्रों के माध्यम से अभिव्यक्त करता है। कुल मिलाकर उसका बिम्ब चित्रण आल्हादकारी, ठोस, विचारोत्तेजक एवं स्पष्ट है। अपनी कविताओं में अपनी इच्छा, यादगारें और भावों की अभिव्यक्ति के लिए वह ठोस बिम्बों, चरित्रों एवं परिस्थितियों का प्रयोग करता है। अलंकारो का प्रयोग दारूवाला विभिन्न अलंकारों का दक्षतापूर्वक प्रयोग करता है जैसे Simile और Metaphor ताकि वह अपनी भावनाओं ओर दष्टिकोण को अपने पाठकों तक सम्प्रेषित कर सके जैसे Like severed wing, squirt a reptile hate उसके अनुप्रास और रूपक मौलिक हैं और बिना आशा के इनका प्रयोग प्रशसनीय है।

उसको स्वरशैली कटु एवं व्यग्यात्मक हो जाती है जो अंग्रेजी में भारतीय कविताओं में कम ही देखने को मिलती है। Graft एक ऐसी ही सुन्दर कविता है जिसमें कलात्मक ढंग से व्यंग्यों का प्रयोग किया गया है।

एक काव्य शिल्पी के रूप में, आधुनिक भारतीय अंग्रेजी साहित्य में दारूवाला का महत्वपूर्ण स्थान है। उसने अपनी अभिव्यक्ति अपनी कविताओं के माध्यम से की है जिसमें उसने नये मुहावरो, नये अर्द्धपदों और वास्तविक बिम्बों का प्रयोग किया है। आधुनिक अंग्रेजी साहित्य में वह वास्तव में प्रथम श्रेणी का कवि है। प्रसिद्धि के मन्दिर में उसका स्थान सुरक्षित है। उसका काव्योत्पाद यद्यपि थोड़ा है, तो भी स्थायित्व गुण लिये है।

यद्यपि तुम (कारनामों की) परछाई को दिल में छिपा सकते हो, (और सोच सकते हो कि ये दब गये) अथवा पक्की सीमेट की सिल्लियों के नीचे या हड़ियों की ऐसी गोलाकार परतों के नीचे (साँप की कुण्डली के समान) छिपा सकते हो। तुम आदिकालीन प्रवृत्तियों की गुफा के मुहाने को दीवार से बन्द कर सकते हो. किन्त (कामना की घबराहट) इसके दोनों सिरों पर हथौड़े से वार करेगी और दीवार टूट जायेगी, जबकि तुम (कारनामों की) परछाई को दिल में छिपाने का प्रयास करते रहोगे।

तुम (कारनामों की) परछाई को गुफा की दीवारों पर उकेर कर अपनी वासनाओं को आदिम कला का रूप देने का प्रयास करते हुए, कोयले से खींची गई लकीरों में जंगली भैंसा, बारहसिंहा को दौड़ते-भागते दर्शा सकते हो, किन्तु तुम जले के निशान नहीं मिटा सकते, यह तुमारे सपनों को झुलसा देगा जबकि तुम (कारनामों की) परछाई को दिल में छिपाते हो। भावार्थ

कविता का भावार्थ यह है कि कर्म की करनी को किसी भी भाँति छिपाया नहीं जा सकता, अधम कार्य करने वाला, आदिम तृष्णाओं को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हुए स्वयं को पाक-साफ घोषित करने का नाटक करते हुए, यद्यपि इन्हें छिपाने का अथक प्रयास करता है तथपि वह भूल जाता है कि उसकी शारीरिक भाव-भंगिमाएँ एवं व्यवहार के हाव-भाव हमेशा सच को प्रकट कर ही देती हैं।

ये पंक्तियाँ दारूवाला द्वारा रचित एवं अत्यधिक सराहित कविता The Unrest of Desire की प्रारंभिक पंक्तियाँ हैं। इस पद में कवि व्यक्तित्व की विशेषताओं (गुणों) के बलपूर्वक दमन के परिणामों के बारे में बताता है। कवि अपनी कामनाओं को छिपाने के प्रयास के दुष्परिणामों के बारे में बताता है। कविता की प्रथम पंक्तियों में ही कवि कहता है कि इच्छाओं के दमन से उत्पन्न असन्तोष आँखों के भाध्यम से बाहर जाता है चाहे मनुष्य अपने चेहरे के मनोभावों को नियन्त्रित करने का कितना ही प्रयत्न करे। कवि के अनुसार अभिलाषाओं (कृत्यों) को छिपाने का कोई भी प्रयास ऐसी चिन्ता को जन्म देता है जो जीवन और उसकी क्षमता को नष्ट कर डालती है। ऐसी चिन्ता का प्रभाव इतना शक्तिशाली होता है कि व्यक्ति अपनी सशक्त अंगों (इन्द्रियों) के माध्यम से आन्तरिक रूप से अनुभव कर सकता है और बाह्य रूप में अपनी व्यवहारिक भाव-भंगिमाओं, विशेष रूप से आंखों के द्वारा प्रदर्शित कर सकता है। टिप्पणी

(i) ये पंक्तियाँ एक शोधकर्ता के रूप में दारूवाला का चित्र प्रस्तुत करती हैं। कविता आक्रामक के सूक्ष्म अवलोकन का, जो अपने कार्यों और कामनाओं को दबाने में असफल रहता है, चित्र खींचती है।

(ii) भाषा बोलचाल वाली है और You और your का प्रयोग पाठक को कविता के साथ जोड़ देता है।

इस पद में कवि ‘अभिलाषा के असन्तोष’ की शक्ति का वर्णन करता है जिसे आन्तरिक अथवा बाह्य साधनों से छिपाया नहीं जा सकता।

कवि दमित इच्छाओं और कृत्यों की सर्वशक्तिमान प्रकृति का वर्णन करता है। प्रथम तीन पंक्तियों में वह तीन विकल्प प्रस्तुत करता है जिनके द्वारा वह अपने असामाजिक कृत्यों एवं इच्छाओं को दबा सकता है। ये विकल्प हैं-प्रथम, उन्हें दबाकर अपने हृदय में छिपायें रखना, द्वितीय, अपने में इन्हें छिपाने का प्रयास करना तथा तृतीय, घर की चार दीवारी में इन्हें छुपाकर रखने का भरसक प्रयास करना। परन्तु इनमें से कोई भी विधि काम नहीं करती क्योंकि हमारे कृत्य और इच्छाएँ हमारी पकड़ से बाहर आ ही जाती हैं। टिप्पणी

(i) ये मुक्तछन्द में लिखी गई है किन्तु इसमें आन्तरिक लय बद्धता है। (ii) कुछ बिम्ब नवीन हैं जैसे coil of bone, cave impulse,

(iii) पंक्ति ‘However you bury the shadow in the heart (पद की प्रथम एवं अन्तिम पंक्ति) कल्पना से तथ्यों को हटाने की मनुष्य की सामान्य प्रवृत्ति पर बल डालती है।

यह कविता का अन्तिम पद है। इस पद में कवि भूतकालीन कृत्यों एवं असामाजिक इच्छाओं के विरुद्ध चेतावनी देता है।

कवि कहता है कि असामाजिक भूतकाल एवं पाशविक इच्छाओं से बचने का कोई मार्ग नहीं है। कवि के अनुसार बाद में किया गया कोई भी कार्य व्यक्ति के इतिहास को नहीं छिपा सकता। यह वर्तमान को सदैव घेरे रहती है और भविष्य को बर्बाद कर देती है। यद्यपि लोग इस वास्तविकता को समझते हैं, तथापि वे सदैव अपने असामाजिक कृत्यों एवं इच्छाओं को छिपाने के लिए प्रयासरत रहते हैं। टिप्पणी

(i) इस पद में कुछ सुन्दर बिम्ब हैं-‘Bison and stag loping in charcoal lines, और दुर्लभ सन्दर्भ है-aborigine art.’

(ii) कवि एक शोधकर्ता के अनुभव और मानवीय मनोविज्ञान की समझ को प्रदर्शित करता है।

(iii) पद की भाषा सरल एवं बोलचाल की है तथापि इसमें काव्य प्रवाह है।

The Unrest of Desire कविता का आलोचनात्मक मूल्यांकन |

प्रस्तावना

The Unrest of Desire कविता का सर्वप्रथम के. की. एन. दारूवाला के तृतीय काव्य संग्रह जो 1982 में आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा प्रकाशित की गई, संकलित थी। इस काव्य संग्रह के लिए उसे 1984 में केन्द्रीय साहित्य एकेडेमी अवार्ड मिला। इस काव्य के तीन भाग हैं

(i) The keeper of the Dead,

(ii) The unrest of Desire तथा

(iii) The Shadow of Imambara.The unrest of Desire उसके द्वितीय भाग में है जिसमें सात कविताएँ है-The Night of the Jackals, Love among the lines, from the know in Ranikhet, The Unrest of Desire, The Parsi Hell, The Son speaks of the Dead Rake et To my Daughter. संरचना

इस पारितोषिक प्राप्त एवं महत्वपूर्ण काव्य संग्रह के द्वितीय खण्ड का शीर्षक ही इस कविता के नाम पर है-The Unrest of Desire अन्य छ: कविताओं के मध्य यह चौथे क्रम में है। कविता की लम्बाई मध्यम स्तरीय है। इसमें तीन पद है, प्रत्येक पद में पाँच पॅक्तियाँ हैं, कुल मिलाकर पन्द्रह पंक्तियाँ हैं।

केन्द्रीय सार __ यह कविता कवि की अपनी खोज को दर्शाती है। कविता का सार इस मान्यता में निहित है कि कोई भी व्यक्ति अपने वास्तविक व्यक्तित्व से सम्बन्धित गुणों को न तो दफना सकता है न छिपा सकता है और न ही उनसे छुटकारा पा सकता है। हमारी टढ़ा-मढ़ा परिशुद्ध की गई भाषाओं से हमारी देह भाषा (शारीरिक भाव-भगिमाओं द्वारा अभिव्यक्त भाषा) अधिक शीघ्रता से अभिव्यक्ति करती है। हम अपने हृदय में अपनी कामना को छिपाने के लिए कितना ही प्रयास क्यों न कर लें, यह हमारी आंखों के माध्यम से प्रकट हो ही जायेगी। हमारी दमित इच्छाएँ हमारे सामने ‘कुछ नहीं’ के रूप में खड़ी रहती है और हमारी पहँच से परे हमें चारों ओर से घेरे रहती हैं। हमारे सभी प्रयासों

और अभिलाषायों के बावजद हम अपनी इच्छाओं को छुपा नहीं सकते। हमारे आवेग निरन्तर दोलन करते रहते हैं ताकि ये आवेग हमारी इच्छाओं का स्पष्ट सकता इस प्रकार कवि इस विचार को संक्षेप में प्रस्तुत करता है कि व्यक्ति की स्वाभाविक (नैसर्गिक) वृत्तियों को दबाया नहीं जा सकता। यह न तो संभव है और न ही वांछनीय बाह्य वातावरण एवं आन्तरिक भावनाओं का मिश्रण

कवि के शोधव्यवसाय ने कवि के कृतियो, विशेष रूप से उसके काव्य विकास की विशिष्ट विधि से, को स्वरूप प्रदान किया है। हम हमेशा अनन्त पर्यावरण के प्रभाव के अन्तर्गत मानवीय व्यक्तित्व के बारे में वास्तविकताओं की खोज करते दिखाई पड़ते हैं। उसकी फौरी और बाध्यकारी वास्तविकता उसके काव्य में स्पंदित होती है, इस बारे में वह लिखता है-“बाह्य वास्तविकता मुझे चारों तरफ से घेरती प्रतीत होती है; मेरे कानों के परदे फाडने के लिए इसका दबाव अत्यधिक सशक्त है।” जीवन की ध्वनि निरन्तर परिवर्तनशील मानवीय दशा, मानवीय सम्बन्ध, उनके भावनात्मक प्रभाव जो सर पर आघात करते से प्रतीत होते हैं, बिम्ब चित्रण के माध्यम से उन्हें कविताओं में आसानी से समझने योग्य बना दिया है।

Unrest of Desire कविता बाह्य वातावरण एवं आन्तरिक व्यक्तित्व के बीच ऐसे ही सम्बन्ध का प्रतिनिधित्व करती है। एक तरफ बाह्य वातावरण से हमारे व्यक्तित्व का निर्माण होता है तो दूसरी ओर यह हमारी आन्तरिक भावनाओं को परिलक्षित करने की खिड़की का कार्य करती है। किसी भी साधन से हम अपनी वास्तविकताओं के मार्ग में बाधक नहीं बन सकते, सत्य सदैव स्वाभाविक रूप से बाहर आयेगा। एक विचार के बहु-आयाम

इस कविता में एक ही विचार के बहुआयाम प्रदर्शित किये गये है। ये सभी एक ही विचार धारा पर आधारित हैं। इस सम्बन्ध में कविता का सार इस मान्यता में निहित है कि व्यक्ति जान-बूझकर तथ्यों को नहीं छिपा सकता क्योंकि हमारे व्यवहार के माध्यम से वह तथ्य स्वयं ही उजागर हो जाता है, किन्तु वह विविध बिम्बों का निर्माण कर सकता है ताकि ऐतिहासिक दृष्टि से मानव के अभ्युदय के बिम्ब की व्याख्या कर सके-व्यक्ति का पत्थर की गुफाओं में आवास का बिम्ब, प्राचीन कला एवं संस्कृति का बिम्ब, जंगली पशुओं, गुफा की दीवारों एवं जले के दाग के बिम्ब आदि। भाषा एवं शैली

कविता मुक्त छन्द का एक अच्छा उदाहरण है। लम्बाई में यह मध्यम स्तरीय है। इसकी भाषा शैली सवांदात्मक है। यह you के माध्यम से प्रस्तुत की गई है। कविता

प्रारंभिक पंक्तियों

The Unrest of desire is lit up with eyes Whatever the mask you slap on your face लेखक के साथ सीधा सम्बन्ध स्थापित करती है और इस सम्बन्ध को अन्तिम

पंक्तियों तक बनाये रखती है

इस कविता में कवि अनेक बिम्बों का चित्रण करता है जैसे (i) Lit up with eyes’. (ii) The mask you slap on our face (iii) tear at the soft throat of life (iv) Salt blood (v) Coil of bone (vi) Wall the cave impulse (vii) aborigine art (viii) Bison and stag loping in charcoal lines आदि।

ये सभी बिम्ब दृश्य न केवल कविता के सौन्दर्य को बढ़ाते हैं अपितु लेखक के मस्तिष्क में स्थायी सम्बन्ध छोड़ जाते हैं। अलंकारों का प्रयोग

कविता में विभिन्न अलंकारों का सही प्रयोग हुआ है-50 Personification-(i) The unrest of desire is lit up with eyes. (ii) However you tear at the soft throat of life Metaphor-

(i) Bury the shadow

(ii) etch the shadow निष्कर्ष

संक्षेप में अभिलाषा जो हृदय में पनपती है, को छिपाना संभव नहीं है। व्यक्ति की स्वाभाविक वृक्तियों का दमन नहीं किया जा सकता। शारीरिक भाव-भंगिमाएँ मनुष्य की इच्छा को प्रतिबिम्बित कर देती हैं। कवि ने अभिलाषा के असन्तोष उपयुक्त अलंकारों के माध्यम से सुन्दर खाका खींचा है। कविता कवि के सम्पूर्ण व्यक्तित्व को अभिव्यक्त कर देती है।

 

 

chetansati

Admin

https://gurujionlinestudy.in

Previous Story

BA 3rd Year Anxiety Study Material Notes in Hindi

Next Story

BA 3rd Year Tara Study Material Notes in Hindi

Latest from BA 3rd Semester Notes in Hindi